यस आई एम— 36
★★★
तृष्णा जब वापिस आई तब उसके हाथ में एक किताब थी जिसपर पर बड़े बड़े अक्षरों में ‘पद्मव्यूं’ लिखा हुआ था। तृष्णा ने अपने रूम में आकर वह किताब टेबल के ऊपर रख दी और फ्रेश होने के लिए वॉशरूम में चली गई। जब वह फ्रेश होकर वाशरूम से बाहर आ गई। बाहर आते ही वह खुद से ही बातें करनी लगी , वैसे भी उसके पास बातें करने के लिए कोई भी नही था।
"वैसे तो मैं बाहर घूमने गई थी जिससे मेरे खराब हुए दिमाग में कुछ आ जाए, फिर मैने सोचा क्यों ना बुक स्टोर पर जाकर कोई किताब ही देख लूं। इस उम्मीद में की शायद मुझे कोई ऐसी किताब मिल जाए जिससे मेरा मूड सही हो जाए। जैसे ही मै स्टोर पर किताब लेने पहुंची वैसे ही मेरी नजर दुकान में सामने की सेल्फ पर रखी हुई एक किताब पर पड़ी। बुक स्टोर के मालिक इस तरह से बनी हुई सेल्फ पर वे किताबें ही रखते है जो हाल फिलहाल मार्केट में नई आई हो और जिन्होंने आते ही मार्केट में बढ़िया कमाई भी कर लेती है। एक तरह से बुक सैलर इस से दो तरफा मुनाफा कमाते है, एक तो बुक पब्लिशर्स से बुक के ऐड के लिए और दूसरा मार्केट में रहने वाली टॉप कहानियों से खुद के स्टोर पर बुक की बिक्री ज्यादा करना।
कुछ किताबें मार्केट में ऐसी भी पब्लिश होती है जो बस कुछ खास बुक स्टोर पर मिलती है, यह बुक स्टोर भी कुछ इसी तरह का खास बुक स्टोर है जहां पर हर तरह की फ्रेश स्टोरी और किताबें पढ़ने को मिल जाती है। सबसे खास बात इस स्टोर के मालिक की मै फैवरेट ग्राहक हूं क्योंकि टाइम टाइम पर मै उन्हें स्टोर को अपग्रेड करने से रिलेटेड एडवाइस देती रहती हूं जिनका उन्हे ज्यादातर फायदा ही होता है।
जैसे ही मेरी नजर किताब पर पड़ी वैसे ही मुझे कहानी का टाइटल दिखाई दिया। कहानी का टाइटल और उसके लिखने का फॉन्ट मुझे दोनों की बहुत ज्यादा इंट्रस्टिंग लगे। उस बुक को देखकर मुझे ऐसा लगा मानो वह किताब मुझे खुद बोल कर कह रही हो कि मै उसे अपने साथ ले जाऊं। बुक को देखकर ही मेरा मन उसे पढ़ने को कर रहा था। दिल का क्या है यह तो किसी भी अच्छी दिखने वाली चीज पर आ जाता है।
दिमाग की तस्लली के लिए किताब से जुड़ी जानकारी के बारे में मै गूगल पर सर्च करने लगी। सर्च करने के बाद मुझे पता चला कि पिछले कुछ दिनों से यह कहानी काफी चर्चा नही........, हद से ज्यादा चर्चा में रही है। जो सीधे सीधे इस बात की तरफ इशारा कर रही थी कि किताब में कुछ तो खास है जो लोग इसके पीछे इतने पागल हो रहे है।
इतना देखने के बाद सोचा कि एक बार किताब के कुछ अंश ही पढ़ लूं, मैंने किताब का जितना अंश पढ़ा उतना मुझे बहुत ही हर प्वाइंट ऑफ व्यू से बहुत ही ज्यादा बेहतरीन लगा इसलिए मैने यह किताब खरीद ली। किताब को खरीदने के बाद मै सीधा घर आ गई। वहां से चलने से पहले बुक स्टोर के अंकल ने भी इस किताब की बहुत तारीफ की थी।" अपनी बात पूरी करने के बाद तृष्णा ने टेबल पर रखी हुई वह किताब उठाई और उसे ले जाकर बेड पर बैठ गई और किताब को देखकर बोली। "सबसे पहले मुझे इस बुक से जुड़ी और इसके राइटर से जुड़ी इनफॉर्मेशन निकालनी चाहिए। वैसे भी मुझे हर बात की अच्छे से डिटेल रखना पसंद है, अगर बात किताबो की हो तो क्या ही कहने। फिर तो मुझे सारी इनफॉर्मेशन चाहिए होती है।
इतना कहने के बाद तृष्णा ने सबसे पहले किताब पर लेखक का नाम देखा। जिस पर लेखक के नाम की जगह बस इतना ही लिखा हुआ था ‘साइलेंट लवर’। इस नाम को पढ़कर तृष्णा शॉक्ड होते हुए बोली। "यह कैसा नाम है? लेखक ने खुद का नाम किताब पर क्यों नहीं लिखा हुआ? ऐसा भला कौन सा लेखक होगा जो अपनी किताब पर अपना ही नाम नही लिखता और क्यों नही लिखता? कुछ तो झौल है इस राइटर में और उसके नाम में भी। पर मुझे उस से क्या लेना देना।
इतना कहने के बाद तृष्णा ने किताब और लेखक के बारे में गूगल पर सर्च करने लगी। गूगल पर कहानी के बारे में तो इनफॉर्मेशन मिल गई पर लेखक की पर्सनल लाइफ तो दूर की बात उसके नाम के बारे में भी कुछ भी पता नहीं चला। लेखक के बारे में कोई भी इनफॉर्मेशन नही मिली सिवाए इसके कि यह किताब लेखक का पौराणिक कहानी में पहली कोशिश है। इसके अलावा लेखक अपनी मर्डर मिस्ट्री कहानियों के लिए जाना जाता है जो लोगों को बहुत पसंद आती भी है। लेखक की लिखी गई मर्डर मिस्ट्री कहानियां ऐसी होती है जिन्हें पढ़कर ऐसा लगता है मानो लेखक ने खुद मर्डर कर उन पर कहानी लिखी हो।
उस किताब के बारे में तृष्णा को पता चलता है कि यह कहानी हिंदू मैथोलॉजी और ग्रीक मैथोलॉजी को मिक्स करके लिखी गई है जिसका एक अध्याय पूरा हो चुका है। आगे अभी यह कहानी बहुत लंबी जाने वाली है जिसका अभी लेखक को भी कोई अंदाजा नहीं है। मर्डर मिस्ट्री में तो लेखक काफी नाम कमा चुका है पर इस फील्ड में यह उसकी पहली कोशिश थी।
तृष्णा को गूगल पर जितनी भी जानकारी मिली वह सिर्फ कहानी से जुड़ी हुई थी उसमें लेखक के बारे में कुछ भी नही लिखा हुआ था। इतना सब देखकर तृष्णा का दिमाग चक्करा गया वह खुद को ही समझाते हुए बोली।
"इस किताब को बाद में पढ़ना और इसके के राइटर की कुंडली भी बाद में निकालना पहले अपना नॉवेल कंप्लीट लिख ले। अगर एक बार तू इस कहानी को पढ़ने लगी तो तू अपने ही नॉवेल को बीच में लटका देंगी। नॉवेल लिखना मेरे लिए अभी ज्यादा जरूरी है।" इतना कहने के बाद तृष्णा ने वह किताब उठाई और पास में ही रख दी। किताब को रखने के बाद वह लैपटॉप उठाकर बैठ गई और अपनी कहानी लिखने लगी।
कुछ देर कहानी लिखने के बाद जैसे ही तृष्णा की नजर उस किताब पर पड़ी वैसे ही हवा के झौंके के साथ किताब के पेज अपने आप पलटने लगे जिन्हें देखकर तृष्णा को एक अलग ही प्रकार का एहसास हो रहा था। यह किताब तृष्णा की जिंदगी में बहुत कुछ बदलाव लाने वाली थी जिसका तृष्णा को जरा सा भी अंदाजा नहीं था।
★★★
To be continued.............
राधिका माधव
02-Jan-2022 07:52 PM
Rochk mod par h kahani
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kapil sharma
02-Jan-2022 10:12 AM
👍👍👍
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